प्रदूषित स्थलों की सफाई के लिए नए कानून: केंद्र सरकार ने अधिसूचित किए नियम

केंद्र सरकार ने प्रदूषित स्थलों की सफाई के लिए नए नियम अधिसूचित किए।

Published · By Tarun · Category: Environment & Climate
प्रदूषित स्थलों की सफाई के लिए नए कानून: केंद्र सरकार ने अधिसूचित किए नियम
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क्या हुआ?

केंद्र सरकार ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत नए नियमों को अधिसूचित किया है। इन नए नियमों को 'पर्यावरण संरक्षण (दूषित स्थलों का प्रबंधन) नियम, 2025' नाम दिया गया है। ये नियम उन जगहों को साफ करने के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करते हैं जो रासायनिक रूप से प्रदूषित हो चुकी हैं। अब तक देश में ऐसी कई जगहों की पहचान की गई थी, लेकिन उन्हें साफ करने के लिए कोई मजबूत कानूनी प्रक्रिया नहीं थी।

दूषित स्थल क्या होते हैं?

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, दूषित स्थल वे जगहें हैं जहाँ ऐतिहासिक रूप से खतरनाक और अन्य कचरा डंप किया गया है। इस कचरे के कारण अक्सर मिट्टी, भूजल और सतह का पानी प्रदूषित हो जाता है, जिससे इंसानों के स्वास्थ्य और पर्यावरण को गंभीर खतरा पैदा होता है। कई मामलों में, जब खतरनाक कचरे के प्रबंधन के लिए कोई नियम नहीं थे, तब ऐसी जगहें प्रदूषित हो गईं। कई बार प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियाँ बंद हो चुकी होती हैं या उनके पास सफाई का खर्च उठाने की क्षमता नहीं होती, जिससे ये स्थल पर्यावरण के लिए खतरा बने रहते हैं। इनमें पुराने लैंडफिल, डंपिंग साइट, कचरा भंडारण और उपचार स्थल, रासायनिक कचरा रखने की जगहें शामिल हैं।

देश में मौजूदा स्थिति

पूरे देश में ऐसे 103 दूषित स्थलों की पहचान की गई है। हालांकि, इनमें से केवल सात स्थलों पर ही अभी तक सफाई का काम शुरू हो पाया है। इस सफाई अभियान में प्रदूषित मिट्टी, भूजल, सतही जल और तलछट (सेडिमेंट्स) को उपयुक्त तकनीकों का उपयोग करके साफ किया जाता है।

प्रदूषित स्थलों की पहचान और जांच कैसे होगी?

पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया है कि ये नए नियम 25 जुलाई को सार्वजनिक किए गए हैं। इन नियमों के तहत, जिला प्रशासन को "संदिग्ध दूषित स्थलों" पर हर छह महीने में रिपोर्ट तैयार करनी होगी। इसके बाद, एक राज्य बोर्ड या कोई विशेषज्ञ संगठन इन स्थलों की जांच करेगा और जानकारी मिलने के 90 दिनों के भीतर "प्रारंभिक मूल्यांकन" (Preliminary Assessment) देगा। फिर, उन्हें अगले तीन महीनों के भीतर एक विस्तृत सर्वेक्षण करना होगा और यह तय करना होगा कि क्या वे स्थल वास्तव में 'दूषित' हैं।

इस प्रक्रिया में संदिग्ध खतरनाक रसायनों के स्तर की जांच की जाएगी। वर्तमान में 'खतरनाक और अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन और सीमा पार आवाजाही) नियम, 2016' के तहत 189 खतरनाक रसायन चिह्नित किए गए हैं। यदि इन रसायनों का स्तर सुरक्षित सीमा से अधिक पाया जाता है, तो इन स्थलों की जानकारी सार्वजनिक की जाएगी और उन तक पहुँचने पर प्रतिबंध लगाए जाएँगे।

जिम्मेदारी किसकी और कौन भरेगा सफाई का खर्च?

एक 'विशेषज्ञ संगठन' (विशेषज्ञों का एक समूह) को सफाई योजना (Remediation Plan) बनाने का काम सौंपा जाएगा। राज्य बोर्ड के पास प्रदूषण के लिए जिम्मेदार व्यक्ति या व्यक्तियों की पहचान करने के लिए 90 दिन होंगे। जिन लोगों को प्रदूषण का जिम्मेदार ठहराया जाएगा, उन्हें ही स्थल की सफाई का खर्च उठाना होगा। यदि वे ऐसा नहीं कर पाते, तो केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर एक तय व्यवस्था के तहत सफाई का खर्च वहन करेंगी। यदि यह साबित होता है कि ऐसे प्रदूषण से जानमाल का नुकसान हुआ है, तो आपराधिक दायित्व भारतीय न्याय संहिता (2023) के प्रावधानों के तहत तय होगा।

इन नियमों के दायरे से बाहर क्या?

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन नए नियमों के दायरे में रेडियोधर्मी कचरा, खनन कार्यों से होने वाला प्रदूषण, तेल से समुद्री प्रदूषण और डंप साइटों से निकलने वाले ठोस कचरे से होने वाला प्रदूषण नहीं आएगा। इन मामलों को अलग-अलग कानूनों के तहत निपटाया जाता है।

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