नेहरू पर पीएम मोदी और शाह के बयान से कांग्रेस नाराज, बताया 'ओसीडी से पीड़ित'
कांग्रेस ने पीएम मोदी और शाह के नेहरू पर बयान को 'ओसीडी' बताया।


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कांग्रेस ने बुधवार (30 जुलाई, 2025) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर जमकर निशाना साधा। कांग्रेस का कहना है कि दोनों नेताओं ने लोकसभा में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की आलोचना करके यह दिखाया कि वे 'ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी)' से पीड़ित हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार अपनी मौजूदा नाकामियों के जवाब देने की बजाय ध्यान भटकाने और इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस का पलटवार
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, "कल लोकसभा में गृह मंत्री और प्रधानमंत्री ने एक बार फिर दिखाया कि जब बात जवाहरलाल नेहरू की आती है, तो वे मेडिकल भाषा में ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) से पीड़ित लगते हैं।" उन्होंने आशंका जताई कि राज्यसभा में भी आज यही देखने को मिल सकता है। रमेश ने आगे कहा कि "उनके पास अपनी मौजूदा नाकामियों का कोई जवाब नहीं है। उनकी नीतियों और कामों पर उठाए जा रहे जायज सवालों का उनके पास कोई उत्तर नहीं है।"
PM मोदी और शाह का नेहरू पर हमला
दरअसल, लोकसभा में 'पहलगाम आतंकी हमले' और 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा के दौरान, पीएम मोदी ने नेहरू सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि उनके समय में भारत ने अक्साई चिन की 38,000 वर्ग किमी से अधिक ज़मीन खो दी थी। उन्होंने नेहरू द्वारा पाकिस्तान के साथ की गई सिंधु जल संधि को भी "बड़ी गलती" बताया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, "इससे पहले कि पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) वापस क्यों नहीं लिया गया, कांग्रेस को जवाब देना चाहिए कि इसे किसने जाने दिया। भारत अब भी जवाहरलाल नेहरू से शुरू हुई पिछली कांग्रेस सरकारों की गलतियों का दर्द झेल रहा है।"
इससे पहले मंगलवार (29 जुलाई, 2025) को गृह मंत्री अमित शाह ने भी बहस में दखल देते हुए नेहरू पर निशाना साधा था। शाह ने दावा किया था कि मुख्य विपक्षी दल की गलती के कारण ही पाकिस्तान का निर्माण हुआ और पीओके पहले प्रधानमंत्री नेहरू की विरासत है।
'एकतरफा युद्धविराम की गलती'
शाह ने कहा था, "1948 में, हमारी सेनाएं कश्मीर में निर्णायक मोड़ पर थीं। सरदार पटेल लगातार ना कहते रहे, लेकिन नेहरू ने एकतरफा युद्धविराम की घोषणा कर दी। अगर आज पीओके मौजूद है, तो वह नेहरू द्वारा घोषित इस एकतरफा युद्धविराम के कारण है। जवाहरलाल नेहरू इसके लिए जिम्मेदार हैं।" उन्होंने यह भी दावा किया कि नेहरू ने भारत को मिली भौगोलिक और रणनीतिक बढ़त को गंवा दिया और 1960 में सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को सिंधु नदी के 80% पानी की पेशकश कर दी।
'इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने की कोशिश'
जयराम रमेश ने पीएम मोदी और अमित शाह पर आरोप लगाया कि वे "सार्थक बहस में शामिल होने के बजाय, ध्यान भटकाते हैं, गुमराह करते हैं, गलत तरीके से पेश करते हैं और बदनाम करते हैं।" रमेश ने गृह मंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने खुद को "एक तरह का इतिहासकार" बताया। रमेश ने शाह को "भारत का दूसरा सबसे बड़ा 'डिस्टोरियन' (इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने वाला)" बताया और कहा कि "इस मामले में पहला स्थान 'एंटायर पॉलिटिकल साइंस' में योग्य व्यक्ति के लिए सुरक्षित है।"