ट्रंप की छापेमारी पर आग बबूला हुआ लॉस एंजेलिस, सड़कों पर उतरी भीड़

लॉस एंजेलिस में आव्रजन छापों के खिलाफ भारी विरोध और हिंसा

Published · By Tarun · Category: Politics & Government
ट्रंप की छापेमारी पर आग बबूला हुआ लॉस एंजेलिस, सड़कों पर उतरी भीड़
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📍 लॉस एंजेलिस में धधकी विरोध की चिंगारी: ट्रंप सरकार की नीतियों के खिलाफ गुस्सा उफान पर

जून 2025 में लॉस एंजेलिस का नाम एक बार फिर सुर्खियों में है, वजह है – आक्रामक आव्रजन छापों के खिलाफ उफनता जनाक्रोश। ट्रंप प्रशासन द्वारा 6 जून से शुरू किए गए इन छापों ने शहर में हलचल मचा दी है। इस कार्रवाई का केंद्र बने वे इलाके जहाँ प्रवासी आबादी अधिक है, जैसे पैरामाउंट और होम डिपो पार्किंग स्थल।

ट्रंप सरकार की दलील थी – “हम अपराधियों को निशाना बना रहे हैं।” लेकिन सच्चाई में फोकस मजदूरों, परिवारों और आम नागरिकों पर पड़ा। इसी के विरोध में उठी वह लहर, जो देखते ही देखते एक जन आंदोलन में तब्दील हो गई।

🪧 सड़कों पर जनसैलाब, पोस्टरों में दर्द

6 जून की शाम, लॉस एंजेलिस फेडरल बिल्डिंग के सामने जुटे सैकड़ों लोग। कुछ हाथों में मेक्सिकन झंडे थे, तो कुछ के पोस्टरों पर लिखा था – “हम इंसान हैं, अपराधी नहीं।” ये प्रदर्शन यहीं नहीं थमे। AC होटल पासाडेना से लेकर होम डिपो स्टोर्स तक, हर ओर गूंजा विरोध का स्वर। 8 जून को सिटी हॉल के बाहर ‘सोशलिज्म एंड लिबरेशन पार्टी’ ने बड़ा प्रदर्शन किया, जिसने आंदोलन को नई ऊर्जा दी।

🚔 पुलिस, नेशनल गार्ड और अब मरीन तैनात

7 जून को पैरामाउंट में प्रदर्शन ने उग्र रूप लिया। कारें जलाई गईं, एक बाइक सवार मेक्सिकन झंडा लहराता हुआ पुलिस से भिड़ गया। 8 जून को LAPD ने 101 फ्रीवे पर रास्ता रोकने वालों पर आंसू गैस और रबर बुलेट्स चलाईं। इसी दिन, वेमो की सेल्फ-ड्राइविंग टैक्सियों को जला दिया गया, जिससे कंपनी ने अपनी सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दीं।

9 जून को एक लाइव रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकार को रबर बुलेट लगी और यूनियन लीडर डेविड हुआर्टा को गिरफ्तार कर लिया गया – वह भी कैमरे के सामने। और फिर, 10 जून को ट्रंप ने मरीन की तैनाती का आदेश दे दिया। कैलिफोर्निया के गवर्नर न्यूज़ोम ने इसे 'असंवैधानिक' बताया और अदालत का दरवाज़ा खटखटाया।

📱 सोशल मीडिया बना युद्ध का मैदान

X (पूर्व ट्विटर) पर इन घटनाओं की रियल टाइम रिपोर्टिंग हो रही है। @latimes द्वारा साझा की गई जली हुई वेमो टैक्सी की तस्वीरों ने आग में घी का काम किया। मगर वहीं, भ्रामक खबरें, पुराने वीडियो और विदेशी फेक अकाउंट्स द्वारा फैलाए गए षड्यंत्र भी माहौल को बिगाड़ रहे हैं।

⚖️ राजनीति गरमाई, देश भर में गूंज

ट्रंप ने प्रदर्शनकारियों को ‘अराजकतावादी’ और ‘देशद्रोही’ बताया, वहीं न्यूज़ोम और मेयर करेन बास ने छापों की आलोचना की। लॉस एंजेलिस के बाद न्यू यॉर्क, शिकागो और मियामी में भी छोटे पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।

🎭 और क्या हुआ लॉस एंजेलिस में?

हालांकि बीईटी अवार्ड्स और टोनी अवार्ड्स जैसे इवेंट्स भी शहर में हुए, लेकिन इनकी चर्चा प्रदर्शन के शोर में दब गई। वहीं बेघर लोगों की समस्या, खासकर हॉलीवुड वॉक ऑफ फेम और वेनिस बोर्डवॉक में, भी लोगों के बीच चर्चा में है – मगर केंद्र में सिर्फ विरोध है।

📌 निष्कर्ष: लॉस एंजेलिस सिर्फ शहर नहीं, एक आंदोलन बन चुका है

आव्रजन नीति, राजनीतिक ध्रुवीकरण और सोशल मीडिया की ताकत ने मिलकर लॉस एंजेलिस को इस समय देश के सबसे ज्वलंत मुद्दे में बदल दिया है। सवाल सिर्फ शहर का नहीं है, सवाल है – अमेरिका की आत्मा का। क्या यह मानवता की राह पर चलेगा या डर और विभाजन की?

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