केरल फिल्म इंडस्ट्री में इतिहास! श्वेता मेनन बनीं AMMA की पहली महिला अध्यक्ष

श्वेता मेनन AMMA की पहली महिला अध्यक्ष बनीं, रचा इतिहास।

Published · By Tarun · Category: Entertainment & Arts
केरल फिल्म इंडस्ट्री में इतिहास! श्वेता मेनन बनीं AMMA की पहली महिला अध्यक्ष
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केरल फिल्म इंडस्ट्री में एक नया अध्याय जुड़ गया है। जानी-मानी अभिनेत्री श्वेता मेनन को एसोसिएशन ऑफ मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स (AMMA) की पहली महिला अध्यक्ष चुना गया है। यह 1994 में संगठन की स्थापना के बाद पहली बार है, जब किसी महिला ने AMMA का नेतृत्व संभाला है।

AMMA में ऐतिहासिक बदलाव

51 वर्षीय श्वेता मेनन ने 15 अगस्त को हुए चुनाव में वरिष्ठ अभिनेता देवन को हराकर यह महत्वपूर्ण पद हासिल किया। इस चुनाव में श्वेता मेनन की मजबूत साथी अभिनेत्री कुक्कु परमेश्वरन को भी AMMA की पहली महिला महासचिव चुना गया, जो अपने आप में एक और ऐतिहासिक कदम है।

क्यों हुए चुनाव?

AMMA की 17 सदस्यीय कार्यकारी समिति के लिए यह चुनाव तब जरूरी हो गए थे, जब पिछले साल 27 अगस्त, 2024 को जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक हुई थी। इस रिपोर्ट में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के सामने आने वाली समस्याओं का खुलासा किया गया था। रिपोर्ट के बाद यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के आरोपों के कारण, जिनमें पदाधिकारियों के खिलाफ भी आरोप शामिल थे, तत्कालीन अध्यक्ष मोहनलाल के नेतृत्व वाली समिति ने इस्तीफा दे दिया था।

कौन हैं श्वेता मेनन?

चंडीगढ़ में जन्मीं श्वेता मेनन, एक भारतीय वायु सेना अधिकारी की बेटी हैं। उन्होंने 1991 में अभिनेता ममूटी के साथ फिल्म 'अनस्वरम' से फिल्म जगत में कदम रखा। 1994 में फेमिना मिस इंडिया एशिया पैसिफिक का खिताब जीतने और उसी साल ग्लैडरैग्स फीमेल सुपरमॉडल बनने के बाद उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।

फिल्मी सफर और पहचान

श्वेता मेनन ने विज्ञापन फिल्मों में खूब जलवा बिखेरा और शानदार तरीके से रैंप पर चलीं। उन्होंने 1997 में फिल्म 'इश्क' से बॉलीवुड में अपनी किस्मत आजमाई। उनकी कुछ हिंदी फिल्मों में 'अशोका', 'मकबूल' और 'कॉर्पोरेट' शामिल हैं। मलयालम में, उन्हें 2009 में निर्देशक रंजीत की फिल्म 'पालेरी माणिक्यम: ओरु पाथीरा कोलापथकथिंते कथा' में 'चेरु' के किरदार के लिए केरल राज्य फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 2011 में, आशिक अबू की फिल्म 'सॉल्ट एन' पेपर' में एक डबिंग कलाकार 'माया' के किरदार के लिए उन्हें एक बार फिर केरल फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का सम्मान मिला। उन्होंने मलयालम, हिंदी, तमिल और तेलुगु भाषाओं में 100 से अधिक फिल्मों में काम किया है, साथ ही विभिन्न टीवी शो की मेजबानी भी की है।

विवादों से नाता

तीन दशक से अधिक के अपने करियर में श्वेता मेनन का विवादों से भी नाता रहा है। नवंबर 2013 में, उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सांसद एन. पीताम्बर कुरुप के खिलाफ शारीरिक दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए पुलिस शिकायत दर्ज कराई थी, जिसे बाद में माफी मांगने पर उन्होंने वापस ले लिया था। फिल्मकार ब्लेसी की फिल्म 'कलिमन्नू' में उन्होंने अपने बच्चे के जन्म को कैमरे पर रिकॉर्ड कराने की अनुमति दी थी, जिसकी दर्शकों के एक वर्ग ने कड़ी आलोचना की थी। हालांकि, केरल उच्च न्यायालय ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था, यह कहते हुए कि अभिनेत्री ने अपनी सहमति दी थी और उनके मौलिक अधिकारों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ था।

AMMA और हेमा कमेटी रिपोर्ट पर मुखर

AMMA के पुरुष-प्रधान नेतृत्व के साथ श्वेता मेनन कभी सीधे टकराव में नहीं आईं। हालांकि, हेमा पैनल की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद वह चुप नहीं रहीं और उन्होंने कहा कि उन्हें भी अवैध प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है। 2022 में, उन्होंने AMMA की आंतरिक शिकायत समिति (Internal Complaints Committee) से इस्तीफा दे दिया था, जब अभिनेता-निर्माता विजय बाबू के खिलाफ कार्रवाई करने में नेतृत्व की अनिच्छा देखी गई थी। विजय बाबू के खिलाफ कोच्चि शहर पुलिस ने एक युवा अभिनेत्री के कथित बलात्कार और पीड़िता की पहचान उजागर करने के आरोप में मामला दर्ज किया था।

चुनाव से पहले का विवाद

चुनाव से ठीक एक हफ्ते पहले, कोच्चि शहर पुलिस ने एर्नाकुलम के एक निवासी की शिकायत पर उनके खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67A के तहत एक FIR दर्ज की थी। शिकायत में उन पर "अश्लील और आपत्तिजनक सामग्री वाली फिल्मों में अपनी भूमिकाओं के माध्यम से वित्तीय लाभ कमाने" का आरोप लगाया गया था। ऐसी अटकलें थीं कि इस शिकायत के पीछे संगठन के भीतर के ही कुछ विरोधी थे। हालांकि, केरल उच्च न्यायालय द्वारा FIR से संबंधित कार्यवाही पर रोक लगाने के बाद अभिनेत्री ने राहत की सांस ली।

आगे की राह मुश्किल

संगठन में महिलाओं के महत्वपूर्ण पदों पर चुने जाने की खुशी के बावजूद, श्वेता मेनन के लिए आगे की राह आसान नहीं होगी। चुनाव से पहले आपसी मतभेद और कीचड़ उछालने का माहौल देखा गया था। संगठन के भीतर दरारें गहरी दिख रही हैं, और उन्हें खुद को बनाए रखने और संगठन को एकजुट रखने के लिए हर संभव प्रयास करना होगा।

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