परमात्मा की पहचान का रहस्य! कबीर प्रकाश दिवस से पहले बवाल
#परमात्मा_की_पहचान ट्रेंड में क्यों है? जानिए कबीर से जुड़ी कहानी


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परमात्मा की पहचान: कबीर प्रकाश दिवस से पहले क्यों हो रहा ट्रेंड?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इन दिनों एक हैशटैग तेजी से वायरल हो रहा है — #परमात्मा_की_पहचान। यह ट्रेंड सिर्फ एक धार्मिक चर्चा नहीं, बल्कि एक गहरे आध्यात्मिक संदेश का प्रचार भी है, जो संत कबीर की शिक्षाओं और उनके दिव्य स्वरूप पर केंद्रित है।
कबीर: सिर्फ एक संत नहीं, स्वयं परमात्मा?
जैसे-जैसे कबीर प्रकट दिवस नजदीक आ रहा है (संभवत: 10-12 जून), अनुयायी सोशल मीडिया पर कबीर को 'परमात्मा' साबित करने में जुटे हैं। पोस्ट्स में बताया जा रहा है कि कबीर न तो किसी स्त्री से जन्मे थे, न ही उनकी मृत्यु हुई — बल्कि वे स्वयं ब्रह्म हैं, जिन्होंने कमल के फूल पर बालक के रूप में प्रकट होकर लीला रची।
वेदों से प्रमाण: विज्ञान नहीं, आस्था की बात
कई यूज़र्स रिगवेद का हवाला देते हुए यह कहते दिखे कि परमात्मा का न तो जन्म होता है, न ही मृत्यु। एक पोस्ट में कहा गया: “रिगवेद मंडल 9, सूक्त 1, मंत्र 9 में स्पष्ट लिखा है कि परमात्मा जननी से उत्पन्न नहीं होता।”
इन दावों के पीछे यह भावना है कि कबीर ने स्वयं को परमात्मा के रूप में सिद्ध किया, और वे एकमात्र मोक्षदाता हैं।
अभियान का रूप: भक्तों की डिजिटल भक्ति
ट्रेंड को देखकर साफ होता है कि यह एक संगठित अभियान का हिस्सा है, जहाँ एक बड़ा समुदाय #परमात्मा_की_पहचान, #परमात्मा_न_जन्मताहै_न_मरताहै जैसे टैग्स के साथ कबीर के रूप को स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। वीडियो, चित्र, और ग्रंथों के अंशों के माध्यम से यह आंदोलन तेज़ी से फैल रहा है।
क्यों है यह इतना प्रभावशाली?
भारत जैसे विविध धार्मिक मान्यताओं वाले देश में कबीर एक ऐसे संत हैं, जिन्हें हिंदू, मुस्लिम और सिख — तीनों समुदायों ने अपनाया है। जब कोई उनके परमात्मा स्वरूप की बात करता है, तो वह सिर्फ धार्मिक विचार नहीं, बल्कि एक दर्शन बन जाता है — एक आह्वान कि सच्चा ईश्वर एक है और वह हमारे बीच रह चुका है।
निष्कर्ष:
#परमात्मा_की_पहचान एक सोशल मीडिया ट्रेंड भर नहीं, बल्कि उस भावनात्मक और आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक है जो संत कबीर के दिव्य स्वरूप को स्वीकार करने के लिए प्रेरित करता है। जैसे-जैसे कबीर प्रकट दिवस नजदीक आता है, यह चर्चा और गहराई से जन-जन तक पहुँच रही है।
👉 ध्यान दें: यह समाचार X पर उपलब्ध उपयोगकर्ता पोस्ट्स और सांस्कृतिक संदर्भों के आधार पर तैयार किया गया है, न कि किसी धार्मिक संस्था या ऐतिहासिक दस्तावेज़ के प्रमाण पर।