भारत की कॉन्सर्ट इकोनॉमी: 2032 तक 1.2 करोड़ नए रोजगार का अनुमान
भारत की कॉन्सर्ट इकोनॉमी 2032 तक 1.2 करोड़ नए रोजगार पैदा करेगी।


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भारत में लाइव कॉन्सर्ट इंडस्ट्री अब सिर्फ एक खास वर्ग का मनोरंजन नहीं रह गई है, बल्कि यह तेजी से एक बड़ी आर्थिक शक्ति बनती जा रही है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, देश की "कॉन्सर्ट इकोनॉमी" साल 2032 तक 1.2 करोड़ (12 मिलियन) नौकरियां पैदा कर सकती है। टियर-2 और टियर-3 शहरों में बढ़ती मांग और वैश्विक मनोरंजन ब्रांडों की बढ़ती भागीदारी के कारण यह संभव होगा।
संगीत कार्यक्रमों का बढ़ता दायरा
हाल के वर्षों में, भारत में लाइव संगीत कार्यक्रम बड़े पैमाने पर और अधिक बार आयोजित होने लगे हैं। कोल्डप्ले, दुआ लिपा, एड शीरन, सिगरेट्स आफ्टर सेक्स और गन्स एन' रोजेज जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय कलाकार यहां परफॉर्म कर चुके हैं। जहां मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु जैसे बड़े शहर अभी भी प्रमुख केंद्र बने हुए हैं, वहीं गुवाहाटी, जयपुर, कोच्चि और चंडीगढ़ जैसे उभरते शहरों में भी अब नियमित रूप से बड़े पैमाने पर संगीत कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं।
कैसे पैदा हो रहे हैं लाखों रोजगार?
भौगोलिक रूप से हो रहा यह बदलाव रोजगार के अवसरों को विकेंद्रीकृत करने में मदद कर रहा है। प्रत्येक बड़ा कॉन्सर्ट लॉजिस्टिक्स, सुरक्षा, हॉस्पिटैलिटी, कलाकार संबंध, डिजिटल मीडिया और इवेंट टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में 15,000 से 20,000 तक अस्थायी नौकरियां पैदा कर सकता है। कुछ मामलों में, इन अस्थायी भूमिकाओं में से 10-15% स्थायी रोजगार में बदल जाती हैं, खासकर प्रोडक्शन, लाइटिंग और ऑडियो इंजीनियरिंग जैसे तकनीकी क्षेत्रों में।
उद्योग के जानकारों की राय
एनएलबी सर्विसेज के सीईओ सचिन अलूग ने बताया कि यह क्षेत्र अब सिर्फ मौसमी आयोजनों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि "साल भर चलने वाले आर्थिक इंजन" बन गए हैं। उन्होंने छोटे शहरों में कौशल विकास में तत्काल निवेश की मांग की। उन्होंने आगे कहा, "कॉन्सर्ट इकोनॉमी सिर्फ मनोरंजन के बारे में नहीं है – यह रोजगार सृजन, औपचारिक रूप देने और युवाओं को सशक्त बनाने के बारे में भी है।"
स्थानीय अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर
बड़े आयोजनों का आर्थिक प्रभाव पहले से ही दिख रहा है। कोल्डप्ले के 2024 में अहमदाबाद में हुए कॉन्सर्ट ने स्थानीय अर्थव्यवस्था में कथित तौर पर 641 करोड़ रुपये जोड़े, जिसमें 72 करोड़ रुपये का जीएसटी राजस्व भी शामिल था। इस दौरान होटलों में ऑक्यूपेंसी बढ़ गई, उड़ानें ओवरबुक हो गईं और खाने-पीने की दुकानों पर रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की गई।
प्लेटफॉर्म की भूमिका और भविष्य की संभावनाएं
बुकमायशो लाइव जैसे प्लेटफॉर्म ने भारत के कॉन्सर्ट परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लाइव इवेंट्स के मुख्य बिजनेस ऑफिसर नमन पुगलिया ने बताया कि अब कॉन्सर्ट "अंतरराष्ट्रीय स्तर पर" संचालित हो रहे हैं। उन्होंने लोलापालूजा इंडिया और बैंडलैंड जैसे आयोजनों का उदाहरण दिया, जिनमें से प्रत्येक ने 8,500 से अधिक नौकरियां पैदा कीं।
आगे देखते हुए, यह क्षेत्र 15,000 करोड़ रुपये का उद्योग बनने के लिए तैयार है, हालांकि इसकी निरंतर वृद्धि बुनियादी ढांचे, सरकारी समर्थन और कौशल उन्नयन के प्रयासों पर निर्भर करेगी। इस बीच, सोशल मीडिया और 'फियर ऑफ मिसिंग आउट' (FoMO) भी टिकटों की मांग बढ़ा रहे हैं, क्योंकि प्रशंसक उन वैश्विक कलाकारों के आयोजनों में शामिल होने के लिए उत्सुक हैं जो शायद जल्द वापस न आएं।
ट्रैविस स्कॉट, एनरिक इग्लेसियस और अन्य बड़े कलाकारों के 2025 के पैक किए गए लाइनअप के साथ, भारत की कॉन्सर्ट इकोनॉमी के धीमा होने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं। उद्योग के जानकारों का मानना है कि यह गति देश में मनोरंजन, पर्यटन और रोजगार के बीच संबंध को लंबे समय तक बदल सकती है।