मोबाइल से दूरी और परिवार से नज़दीकी! ट्रेंड में क्यों है #DigitalFasting

#DigitalFasting अभियान ने स्क्रीन फ्री समय को बनाया फैशन

Published · By Tarun · Category: Health & Science
मोबाइल से दूरी और परिवार से नज़दीकी! ट्रेंड में क्यों है #DigitalFasting
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📵 डिजिटल उपवास: जब तकनीक से दूरी बनाना बन गया नया चलन

आजकल सोशल मीडिया पर एक नया चलन जोर पकड़ रहा है – #DigitalFasting. यह ट्रेंड केवल एक हैशटैग नहीं, बल्कि एक अभियान है, जिसे शुरू किया है संत एमएसजी (गुरमीत राम रहीम सिंह) ने, जो डेरा सच्चा सौदा संगठन से जुड़े हुए हैं। इस आंदोलन का मकसद है – हर दिन शाम 7 से 9 बजे तक डिजिटल उपकरणों से दूरी बनाना। इसका उद्देश्य है लोगों को परिवार के साथ समय बिताने, ध्यान (मेडिटेशन) करने और मानसिक शांति की ओर प्रेरित करना।

📲 सोशल मीडिया पर क्यों ट्रेंड कर रहा है #DigitalFasting?

9 जून, 2025 को सुबह से ही X (पूर्व में ट्विटर) पर इस हैशटैग की बाढ़ आ गई। हजारों यूज़र्स जैसे @chawla_manju, @anup_insan13 और @DholaInsan ने डिजिटल उपवास से मिलने वाले फायदे गिनवाए – कम तनाव, बेहतर नींद, अधिक उत्पादकता और गहरे पारिवारिक रिश्ते।

कुछ यूज़र्स ने लिखा कि “लाखों लोग रोज़ शाम को अपने मोबाइल, टीवी और लैपटॉप बंद कर देते हैं”, जिससे यह साफ़ होता है कि यह केवल प्रचार नहीं, बल्कि एक आदत बन चुकी है। @ksushma140 जैसे यूज़र्स ने इसे 'आध्यात्मिक जागरूकता' और 'आत्मविकास' का जरिया बताया।

🧘 डिजिटल डिटॉक्स की बढ़ती ज़रूरत

कोविड के बाद की दुनिया में डिजिटल उपकरणों पर निर्भरता कई गुना बढ़ गई है। चाहे वर्क फ्रॉम होम हो, ऑनलाइन क्लासेस हों या OTT binge-watching – स्क्रीन हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बन चुकी है। ऐसे में यह अभियान लोगों को एक छोटा लेकिन असरदार ब्रेक लेने के लिए प्रेरित करता है। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी कहते हैं कि स्क्रीन से थोड़ी दूरी तनाव, अनिद्रा और घबराहट जैसे लक्षणों को कम कर सकती है।

👨‍👩‍👧‍👦 परिवार और समाज की ओर वापसी

इस अभियान में खास बात यह है कि यह केवल व्यक्तिगत लाभ की बात नहीं करता, बल्कि परिवार और रिश्तों को भी प्राथमिकता देता है। कई यूज़र्स ने लिखा कि ये 2 घंटे उनके परिवार को फिर से जोड़ने में मददगार साबित हुए हैं। बच्चे, माता-पिता और बुज़ुर्ग – सब एक साथ बैठते हैं, बात करते हैं, खेलते हैं।

🔥 वायरल क्यों हुआ?

इसकी सबसे बड़ी ताकत है – इसका सीधा और सरल संदेश: “रोज़ 7 से 9, बिना स्क्रीन के।” यह इतना आसान है कि कोई भी इसे आज़मा सकता है। साथ ही, X पर इसकी प्रचार रणनीति भी काफी संगठित थी – हजारों पोस्ट लगभग एक ही समय में आए, जिससे यह ट्रेंडिंग टॉपिक बन गया।

⚠️ कुछ बातें सोचने लायक भी हैं

हालांकि यह अभियान समाज के लिए सकारात्मक है, लेकिन इसके प्रवर्तक संत MSG एक विवादास्पद व्यक्तित्व रहे हैं, जिन पर गंभीर आरोप भी लग चुके हैं। ऐसे में कुछ लोग इस पहल को संदेह की नज़र से भी देख सकते हैं। इसके अलावा, लाखों लोगों की भागीदारी के दावे की कोई स्वतंत्र पुष्टि फिलहाल नहीं मिल पाई है।

फिर भी, एक कोशिश तो बनती है...

अगर आप भी महसूस करते हैं कि आपका स्क्रीन टाइम बढ़ता जा रहा है, तो ये 2 घंटे की डिजिटल फास्टिंग आपके लिए भी फायदेमंद हो सकती है। चाहे आप आध्यात्मिक दृष्टिकोण से जुड़ें या सिर्फ मानसिक शांति की तलाश में हों – यह पहल एक सकारात्मक बदलाव की ओर इशारा करती है।


📌 क्या आपने आज डिजिटल उपवास किया? अगली बार 7 बजे अलार्म सेट करना न भूलें!

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