30 से ज्यादा की मौत, बेंगलुरु की भगदड़ पर राजनीति गरम!

बेंगलुरु में भगदड़ से 30 मौतें, आयोजन पर उठे सवाल

Published · By Tarun · Category: Politics & Government
30 से ज्यादा की मौत, बेंगलुरु की भगदड़ पर राजनीति गरम!
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बेंगलुरु की भगदड़: एक आयोजन, 30 से ज्यादा मौतें और अनगिनत सवाल

बेंगलुरु में एक भव्य सार्वजनिक कार्यक्रम अचानक एक भीषण त्रासदी में बदल गया, जब भीड़ के नियंत्रण से बाहर होने पर मची भगदड़ में 30 से अधिक लोगों की जान चली गई। इस भयावह घटना के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर #Stampede ट्रेंड करने लगा, और एक के बाद एक सवाल उठते गए — क्या यह केवल एक हादसा था, या किसी की लापरवाही और राजनीतिक दबाव का नतीजा?

हादसा कैसे हुआ?

बताया जा रहा है कि यह कार्यक्रम एक बड़ा सार्वजनिक इवेंट था, जिसमें हज़ारों लोग मौजूद थे। भीड़ इतनी अधिक थी कि लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। एक X यूज़र ने स्टाम्पेड की भयावहता को समझाते हुए लिखा कि भीड़ में जब व्यक्ति दीवार या अवरोध के पास होता है, तो उसकी छाती पर दबाव पड़ता है और वह 20 सेकंड में बेहोश हो सकता है। अगर वह गिर जाता है, तो कुचले जाने का खतरा बढ़ जाता है।

क्या पुलिस को थी जानकारी?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर ने इस कार्यक्रम को पहले अनुमति नहीं दी थी। लेकिन आरोप है कि राजनीतिक दबाव के चलते आयोजन की अनुमति दी गई। इस आरोप की दिशा सीधे मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार की ओर जाती है।

कौन हैं आयोजन के पीछे?

सोशल मीडिया पर KSCA (कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन), RCB (रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु), और DNA जैसे नाम सामने आ रहे हैं। हालांकि DNA का मतलब अभी स्पष्ट नहीं है – यह कोई मीडिया हाउस हो सकता है या आयोजक समूह। सवाल ये भी उठ रहे हैं कि किसने इतने अधिक इनविटेशन कार्ड छापे और लोगों को बुलाया?

जनता का ग़ुस्सा और राजनीतिक आरोप

एक यूज़र ने पोस्ट किया – “राजनीतिज्ञों के कार्यक्रमों से दूर रहिए, ये आपकी जान के लिए खतरनाक हो सकते हैं।” वहीं, कई लोग सोशल मीडिया पर पूछ रहे हैं कि जिन संस्थानों का नाम इस आयोजन से जुड़ा है, उन्हें अब तक क्यों जवाबदेह नहीं ठहराया गया?

जांच और निष्कर्ष

राज्य सरकार ने इस हादसे पर मैजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। जांच के केंद्र में हैं:

  • किसने इस कार्यक्रम की योजना बनाई?
  • क्या पुलिस की आपत्तियों को नज़रअंदाज़ किया गया?
  • क्या आयोजकों ने भीड़ प्रबंधन के लिए कोई ठोस योजना बनाई थी?
  • आयोजकों और राजनीतिक हस्तियों की ज़िम्मेदारी क्या है?

निष्कर्ष

बेंगलुरु की यह भगदड़ केवल एक हादसा नहीं, बल्कि भीड़ प्रबंधन की विफलता, राजनीतिक हस्तक्षेप और लापरवाही का एक त्रासद उदाहरण है। सोशल मीडिया पर उभरी भावनाएं और सवाल दर्शाते हैं कि लोग अब केवल जवाब नहीं, बदलाव की मांग कर रहे हैं। जबकि जांच की रिपोर्ट का इंतजार है, इस हादसे ने भविष्य में होने वाले सार्वजनिक आयोजनों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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