ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के दिग्गज बॉब सिम्पसन का निधन, ICC ने जताया दुख
ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के दिग्गज बॉब सिम्पसन का निधन, ICC ने दुख जताया।


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क्या हुआ?
क्रिकेट जगत ने ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान और महान खिलाड़ी बॉब सिम्पसन के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। सिम्पसन का शनिवार को 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने रविवार (17 अगस्त, 2025) को एक बयान जारी कर उनके निधन पर संवेदना व्यक्त की और क्रिकेट में उनके अमूल्य योगदान को याद किया।
आईसीसी अध्यक्ष जय शाह ने क्या कहा?
आईसीसी के अध्यक्ष जय शाह ने बॉब सिम्पसन को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, "बॉब सिम्पसन हमारे खेल के सच्चे दिग्गजों में से एक थे और उनके निधन के बारे में जानकर बहुत दुख हुआ है। उनकी विरासत बहुत बड़ी है।" शाह ने आगे कहा, "एक खिलाड़ी, कप्तान और बाद में एक कोच के रूप में, उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट को एक नई दिशा दी और वैश्विक खेल को प्रेरित किया। उन्होंने खिलाड़ियों की एक ऐसी पीढ़ी को पाला और उनका मार्गदर्शन किया जो आगे चलकर खुद ही दिग्गज बन गए। उनका प्रभाव मैदान से कहीं आगे तक फैला हुआ था।" जय शाह ने सिम्पसन के परिवार, दोस्तों और पूरे क्रिकेट समुदाय के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि उनका जाना खेल के लिए एक गहरा नुकसान है, लेकिन उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा और संजोया जाएगा।
बॉब सिम्पसन का शानदार करियर
बॉब सिम्पसन का नाम आईसीसी हॉल ऑफ फेम में शामिल है। उन्होंने 1957 से 1978 के बीच ऑस्ट्रेलिया के लिए 62 टेस्ट मैच खेले। इस दौरान उन्होंने 46.81 की औसत से कुल 4,869 रन बनाए, जिसमें 10 शतक और 27 अर्धशतक शामिल थे। उनका उच्चतम स्कोर 311 रन रहा। सिम्पसन एक शानदार लेग-स्पिनर भी थे, जिन्होंने 42.26 की औसत से 71 विकेट लिए। इसमें दो बार पांच विकेट लेने का कारनामा भी शामिल है, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 57 रन देकर पांच विकेट था। मैदान पर वे अपनी चुस्त फील्डिंग के लिए भी जाने जाते थे और उन्होंने कुल 110 कैच लपके।
कप्तान और कोच के रूप में योगदान
1968 में क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद, सिम्पसन ने 1978 में 41 साल की उम्र में टेस्ट कप्तान के रूप में शानदार वापसी की। उन्होंने एक कमजोर ऑस्ट्रेलियाई टीम का नेतृत्व किया और उसे नई पहचान दिलाई। खास बात यह है कि उनके सभी 10 टेस्ट शतक तब आए जब वह ऑस्ट्रेलियाई टीम की कप्तानी कर रहे थे, जिसमें 1964 में मैनचेस्टर में इंग्लैंड के खिलाफ बनाए गए 311 रन भी शामिल हैं। संन्यास के बाद, वह ऑस्ट्रेलिया के पहले पूर्णकालिक कोच बने और राष्ट्रीय चयनकर्ता के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। 1990 के दशक में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट को ऊंचाइयों पर ले जाने में उनका कोचिंग का योगदान बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।