आर्यन खान की डेब्यू सीरीज़ 'बैस्टर्ड्स ऑफ बॉलीवुड' का रिव्यू: यह शुरुआत है धमाकेदार!
आर्यन खान की 'बैस्टर्ड्स ऑफ बॉलीवुड' एक निडर, दिलचस्प और मनोरंजक सीरीज़ है।


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बॉलीवुड के किंग शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान ने अपनी पहली वेब सीरीज़ 'बैस्टर्ड्स ऑफ बॉलीवुड' (The B***ds of Bollywood) से निर्देशन के क्षेत्र में दमदार दस्तक दी है। यह सीरीज़ बॉलीवुड की अनोखी दुनिया पर एक व्यंगात्मक नज़रिया पेश करती है, जो बेहद निडर, दिलचस्प और मनोरंजक है। बॉबी देओल का इसमें एक अहम रोल है, जिसके इर्द-गिर्द सीरीज़ बुनी गई है।
क्या है 'बैस्टर्ड्स ऑफ बॉलीवुड'?
सोशल मीडिया ने भले ही बॉलीवुड सितारों और आम लोगों के बीच की दूरी कम कर दी हो, लेकिन कैमरे के पीछे की दुनिया को जानने की उत्सुकता अभी भी बनी हुई है। फ़राह खान, ज़ोया अख्तर और करण जौहर जैसे निर्देशकों ने पहले भी इन अंदरूनी कहानियों का इस्तेमाल मनोरंजक फ़िल्में और चैट शो बनाने के लिए किया है। इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, आर्यन खान ने बॉलीवुड की अंदरूनी दुनिया के परदे हटाए हैं। उन्होंने गपशप, ख़बरों और चटपटी जानकारियों का एक ऐसा मिश्रण तैयार किया है जो फ़िल्मी माफिया, जैसा कि करण जौहर ने सीरीज़ में बड़े बॉलीवुड दिग्गजों का वर्णन किया है, और उनकी हरकतों व पाखंड पर तीखा वार करता है।
कहानी: बॉलीवुड की अंदरूनी दुनिया का आईना
सात एपिसोड की यह सीरीज़ सच और फिक्शन के बीच की पतली रेखा पर चलती है। यह दिल्ली के एक लड़के, आसमान सिंह (लक्ष्य) के बॉलीवुड में स्टार बनने के सफ़र को दिखाती है। इस तेज़ रफ़्तार सफ़र में, आर्यन ने नेपोटिज़्म (भाई-भतीजावाद), शिकारी निर्माता, अंडरवर्ल्ड, पेड मीडिया, ड्रग्स और शोहरत की अस्थिरता जैसे विषयों को छुआ है। भले ही इसकी भाषा थोड़ी बोल्ड है, लेकिन इसमें गहरा और जुड़ाव महसूस कराने वाला भावनात्मक पहलू है। स्टाइल और चमक-दमक के नीचे व्यंग्य और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की एक सहज परत भी मौजूद है।
आर्यन खान का निर्देशन और लेखन
आर्यन ने अपने पिता के दोस्तों और सहकर्मियों तक अपनी पहुंच का इस्तेमाल श्रद्धांजलि देने के लिए नहीं, बल्कि एक परंपरा तोड़ने वाली कहानी गढ़ने के लिए किया है। वे अपने पिता के दोस्तों पर व्यंग्य करते हैं, उनकी छवि के साथ खेलते हैं, अपने आलोचकों का मज़ाक उड़ाते हैं, और अंत में सीरीज़ को एक ऐसा क्लाइमेक्टिक ट्विस्ट देते हैं, क़िस्मत का ऐसा खेल जो मनमोहन देसाई को भी गर्व महसूस कराएगा। इस रोमांचक सफ़र में एक अंदरूनी व्यक्ति की आत्म-जागरूकता रुकावट नहीं बनती, और यही बात 'बैस्टर्ड्स ऑफ बॉलीवुड' को पुरानी 'तीस मार खान' से अलग करती है। यह इसे 'ओम शांति ओम' से ज़्यादा गहराई और 'लक बाय चांस' से ज़्यादा रंगीन बनाती है।
दमदार अभिनय: बॉबी देओल से लेकर लक्ष्य तक
इस सीरीज़ में बॉबी देओल ने सबसे बड़ा सरप्राइज़ पैकेज बनकर उभरे हैं। वह अजय तलवार नाम के एक बड़े स्टार का किरदार निभाते हैं, जो नहीं चाहता कि उसकी बेटी करिश्मा (सहर बाम्बा) किसी बाहरी व्यक्ति के साथ लॉन्च हो। बॉबी लंबे समय बाद अपनी स्वाभाविक रेंज में नज़र आए और दमदार प्रदर्शन किया है। लक्ष्य का आत्मविश्वास से भरा आसमान, अपनी बिंदास अदाओं, हाज़िर-जवाबी और विलेन के वार सहने की क्षमता से युवा शाहरुख खान की याद दिलाता है। आसमान और परवेज (राघव जुयाल) के बीच का प्यारा रिश्ता सीरीज़ की मुख्य प्रेरणा है, जबकि लक्ष्य और करिश्मा के बीच की केमिस्ट्री कहानी में जवानी का जोश भरती है। आशा सिंह के साथ, आसमान की बिंदास मैनेजर के रूप में, सही उम्र के प्रतिभाशाली कलाकारों ने अनुमानित हिस्सों को भी दिलचस्प बना दिया है। मोना सिंह सिर्फ़ महत्वाकांक्षी स्टार की प्यारी मां से कहीं ज़्यादा हैं, और मनीष चौधरी अपने घमंडी, नाटकीय निर्माता के किरदार को केवल एक किरदार नहीं बनने देते। मनोज पाहवा हमेशा की तरह भरोसेमंद लगे, उन्होंने एक ऐसे हिम्मतवाले चाचा का किरदार निभाया जिसे इंडस्ट्री से वो पहचान नहीं मिली जिसके वो हकदार थे।
खास मेहमान और संगीत
इस सीरीज़ में आमिर खान, सलमान खान, एस.एस. राजामौली, रणवीर सिंह, अरशद वारसी और खुद शाहरुख खान के कैमियो भी हैं, जो कहानी में सहजता से बुने गए हैं। अनिरुद्ध रविचंदर और शाश्वत सचदेव ने एक शानदार स्कोर दिया है जो जोशीला और मज़ेदार दोनों है।
कहां देख सकते हैं?
'बैस्टर्ड्स ऑफ बॉलीवुड' सीरीज़ नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही है। (यह समीक्षा 20 सितंबर, 2025 को अपडेट की गई थी)